Wednesday, November 13, 2024
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भाई-बहन के प्यार का पावन पर्व है भाई-दूज का दिन, जानें शुभ मुहूर्त

by Doaba News Line

दोआबा न्यूज़लाईन

देश : भाई दूज का पर्व दीपोत्सव का आखिरी पर्व होता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। यह पर्व गोवर्धन पूजा के बाद मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं। साथ ही उसकी दीर्घायु और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं भाई को अपने कर्तव्य निर्वहन का वादा करता है, साथ ही कोई न कोई उपहार देता है। भाई दूज का त्योहार पूरे देश में पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्य और देवी संज्ञा की दो संतानें थीं। पुत्र का नाम यमराज और पुत्री का नाम यमुना था। कालांतर में यमराज ने अपनी नगरी यमपुरी बसाई और यमुना गोलोक में निवास करने लगीं। लेकिन यमराज और यमुना के बीच बहुत प्रेम था। लेकिन लंबे समय से यमराज बहन से मिल नहीं पा रहे थे, यमुना भी भाई से मिलने को लेकर उदास रहती थीं। उनकी दशा की जानकारी महर्षि नारद ने यमराज को दी तो कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को यमराज के घर आ गए।

यहां यमराज को आया देख यमुना बहुत प्रसन्न हुईं और स्नान-पूजन के बाद उन्होंने यमराज के लिए स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और खूब आदर सत्कार किया, भोजन कराया। यमुना के सत्कार से यमराज बेहद प्रसन्न हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने कहा कि आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो भी बहन इस दिन भाई का आदर सत्कार कर टीका करे, उसको तुम्हारा भय ना रहे। यमराज ने यमुना को यह वरदान दे दिया और वस्त्राभूषण भी उपहार में दिए। इसके बाद यमराज अपने लोक को लौटे, उसी दिन से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन भाई-बहन को यमराज और यमुना का पूजन अवश्य करना चाहिए।

एक लोकप्रिय मिथक भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से भी जुड़ा हुआ है। इसके अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराने के बाद, अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने उनका स्वागत आरती के साथ किया, उनके माथे पर तिलक लगाया और उन्हें मिठाई खिलाई। बदले में कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनकी रक्षा करने का वादा किया और इसने त्योहार की नींव रखी।

एस्ट्रोलॉजर रितिका मरवाहा ने शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हुए कहा कि पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 2 नवंबर 2024 की रात 8 बजकर 22 मिनट पर होगी और इस तिथि का समापन 3 नवंबर 2024 को रात 11 बजकर 6 मिनट पर होगा। ऐसे में 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का त्योहार मनाया जाएगा। यानी कि पूरा दिन शुभ है।

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