दोआबा न्यूज़लाइन

जालंधर: पंजाब के जालंधर में हर साल लगने वाला भव्य श्री सिद्ध सोडल मेला इस बार 6 सितंबर 2025 दिन शनिवार को लगने जा रहा है।
जानकारी के अनुसार यह मेला हर साल भादों के महीने में शुक्ल पक्ष के 14वें दिन लगाया जाता है। इस मेले में हर साल देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु सिद्ध बाबा सोडल के दरबार में नतमस्तक होकर उनके आगे अपनी झोलियां फैलाकर आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं। श्री सिद्ध सोडल मंदिर में मेले वाले दिन से 2-3 दिन पहले और बाद तक भक्तों की भीड़ लगातार बरकरार रहती है। करीब 300 वर्ष पुराना यह मंदिर विश्व विख्यात भी है। इसका कारण है कि चड्ढा बिरादरी के जठेरे और आनंद बिरादरी के साथ इस मंदिर का इतिहास जुड़ा है।

इस बार भी मेले में लगातार तैयारियां जोरों- शोरों से चल रही हैं। यह मेला बाबा सोढल को समर्पित है और भादों के महीने में लगता है, जिसमें दूर-दूर से लाखों भक्त बाबा के दर्शनों के लिए यहां अपनी मुरादें लेकर आते हैं। जालंधर शहर में भादों के महीने में शुक्ल पक्ष के 14वें दिन हर साल बाबा सोढल मेला आयोजित किया जाता है। पंजाब के मेलों की सूची में इनका प्रमुख स्थान है।
श्री सिद्ध बाबा सोडल मंदिर देश-विदेश में प्रसिद्ध है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर पहुंचते हैं। वहीं, सोढल मंदिर में प्रसिद्ध ऐतिहासिक सरोवर है जहां सोढल बाबा की विशाल प्रतिमा स्थापित है। श्रद्धालु इस पवित्र सरोवर के जल से अपने ऊपर छिड़काव करते हैं और चरणामृत की तरह इस पवित्र जल को पीते हैं। इस दिन देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा सोढल के दर्शन करने आते हैं।
पौराणिक मान्यता
मान्यता है कि बाब सोढल का जन्म जालंधर में चड्डा परिवार में हुआ था। इसके साथ जुड़ी कई कहानियां हैं। एक पौराणिक कहानी के अनुसार जब सोढल बाबा बहुत छोटे थे, एक दिन वह अपनी माता के साथ तालाब पर गए। तालाब में माता कपड़े धोने में व्यस्त थीं और बाबा जी पास ही में खेल रहे थे। तालाब के नजदीक आने को लेकर माता ने बाबा को कई बार टोका और डांटा भी। जिस पर बाबा जी ने माता से कहा कि अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तालाब में छलांग लगा दूंगा, बाबा जी के कई बार ऐसा बोलने पर माता ने खीजकर कहा जा गिर जा। ऐसा कहने पर बाबा सोढल ने माता के कहे अनुसार तालाब में छलांग लगा दी। माता ने जब ये देखा तो विलाप करना शुरू कर दिया। माता अपने आप को कोसने लग गई कि उसने अपने बेटे पर गुस्सा क्यों किया। माता के काफी देर विलाप करने के बाद बाबा जी पवित्र नाग देवता के रूप में तालाब से प्रकट हुए और माता को दर्शन दिए।