Wednesday, November 13, 2024
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भारत-कनाडा के बीच फिर बिगड़े रिश्ते, भारत ने उठाया सख्त कदम

by Doaba News Line

दोआबा न्यूज़लाईन

नई दिल्ली: भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले काफी समय से कुछ खास अच्छे नहीं चल रहे हैं। दरअसल अलगाववादी कनाडाई नागरिक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर कनाडा की भारत के बारे में घटिया बयानबाजी पर अब भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। जानकारी के अनुसार इन बयानों के जवाब में भारत सरकार ने कनाडा से अपने उन राजनयिकों को वापस बुला लिया है, जिन पर डूडो सरकार ने गंभीर आरोप लगाए थे।

मिली जानकारी के अनुसार कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अपनी हालिया जांच में भारतीय हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में लिंक किया था, जिसपर भारत ने सख्ती बरती है। दरअसल बीते साल पीएम जस्टिन डूडो ने भारत पर बिना सबूत के निज्जर की हत्या को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे और दावा किया था कि भारत ने ही निज्जर को मरवाया है। जिसके बाद लगातार अब तक भारत कनाडा से इसके सबूत मांग रहा है लेकिन कनाडा सरकार ने अब तक कोई सबूत पेश नहीं किया है।

इसके संबंध में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडाई डिप्लोमेट्स के साथ मीटिंग की। वहीं मीटिंग के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा था कि कनाडा से बार-बार सबूत मांगने के बाद भी सबूत पेश नहीं किए गए है। हालांकि, कनाडाई डिप्लोमेट ने इसे खारिज किया था।
विदेश मंत्रालय द्वारा तलब किए जाने पर मीटिंग के दौरान कनाडा के डिप्लोमेट स्टीवर्ट व्हीलर ने कहा, कनाडा ने भारत सरकार के एजेंटों और कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या के बीच संबंधों के विश्वसनीय सबूत पेश किए हैं। अब समय आ गया है कि भारत अपने वादे पर खरा उतरे और उन सभी आरोपों की जांच करे। इस मामले की तह तक जाना हमारे दोनों देशों और हमारे देशों के लोगों के हित में है।
कनाडा भारत के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है.”

वहीं इस मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सोमवार शाम को कनाडाई कार्यवाहक डिप्लोमेट को तलब किया और उन्हें सूचित किया कि भारतीय हाई कमिश्नर और अन्य डिप्लोमेट्स के खिलाफ बिना किसी सबूत के आरोप लगाया जाना उन्हें स्वीकार नहीं है। भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि इस तरह के आरोपों की वजह से अलगाववाद और हिंसा का माहौल पैदा हो गया है, जिससे हमारे डिप्लोमेट्स की सुरक्षा खतरे में है। भारतीय सरकार के एक बयान में कहा गया, ‘हमें मौजूदा कनाडाई सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई विश्वास नहीं है कि वे हमारे डिप्लोमेटस की सुरक्षा करेंगे ।

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