दोआबा न्यूज़लाईन
जालंधर: डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (डेविएट) की एनएसएस इकाई ने नॉलेज विला इंटीग्रेटेड एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी (केव्यूज) और ब्लड बैंक अमृतसर के सहयोग से रक्तदान शिविर का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम में छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और लगभग 100 यूनिट रक्तदान किया, जिससे सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय प्रयासों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है। रक्तदान जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इस तरह की पहल समाज की भलाई में महत्वपूर्ण योगदान देती है। शिविर का उद्देश्य स्वैच्छिक रक्तदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना और युवाओं में नियमित रक्तदान की संस्कृति को प्रोत्साहित करना था।
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डेविएट के कार्यवाहक प्रिंसिपल डॉ. सुधीर शर्मा ने कार्यक्रम को सफल बनाने में छात्रों और संकाय सदस्यों के समर्पण की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रक्तदान एक नेक कार्य है जो रक्त की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को मिटाने में मदद करता है और अंततः जीवन बचाता है। उन्होंने आगे कहा कि डेविएट अपने छात्रों में समाज सेवा की भावना को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि नियमित रक्तदान चिकित्सा आपात स्थितियों और जरूरतमंद रोगियों के लिए स्थिर आपूर्ति बनाए रखने में मदद करता है। अधिक छात्रों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने जोर दिया कि रक्त की एक इकाई तीन लोगों की जान बचा सकती है, जिससे हर योगदान अमूल्य हो जाता है।
वहीं एनएसएस समन्वयक डॉ अशोक कुमार ने ऐसे नेक काम के लिए आगे आने वाले छात्रों के उत्साह पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक सुचारू और सफल रक्तदान अभियान सुनिश्चित करने के लिए आयोजन टीम और चिकित्सा पेशेवरों के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने छात्रों को समाज की भलाई के लिए इसी तरह की पहल में भाग लेना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे, जिनमें रवि महाजन, पीआरओ केवीआईईएस; डॉ अनुम, चिकित्सा अधिकारी और लैब तकनीशियन सुमन, पाहुल प्रीत कौर, मुनीश कुमार और रंजना कार्यक्रम का समापन सकारात्मक तरीके से हुआ, जिसमें सभी दानदाताओं, आयोजकों और चिकित्सा कर्मचारियों को उनके अमूल्य योगदान के लिए सराहना की गई। शिविर के सफल आयोजन ने सामाजिक कल्याण और सामुदायिक सेवा के प्रति डेविएट की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिससे भविष्य में ओर अधिक छात्रों को ऐसे मानवीय प्रयासों में योगदान देने की प्रेरणा मिली।