दोआबा न्यूज़लाइन

जालंधर: शहर के बाबा कश्मीरा सिंह जन सेवा ट्रस्ट द्वारा संचालित एस.जी.एल. सुपर स्पेशियलिटी चैरिटेबल हॉस्पिटल ने हाल ही में एक अत्यधिक जोखिम वाले मामले को सफलतापूर्वक संभालकर विज्ञान, अनुभव और टीमवर्क का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। यह मामला एक गर्भवती महिला से संबंधित था जिसका कार्डियक इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) केवल 25% था – जो डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी (DCMP) नामक एक गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थी। इस मामले को उचित सुविधाओं की कमी के कारण कई अन्य अस्पतालों द्वारा रेफर किया जा चुका था, लेकिन एसजीएल अस्पताल की अनुभवी सुपरस्पेशलिटी टीम ने इसे एक नई उम्मीद में बदल दिया।
इसका नेतृत्व कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. पवन सूरी ने किया। उन्होंने रोगी की हृदय स्थिति को प्रबंधित करने के लिए उचित दवाओं और निगरानी के माध्यम से हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार किया। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. दीपिंदर कौर ने किया। मरीज की नाजुक स्थिति को समझते हुए उन्होंने एपिड्यूरल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल किया और धमनी लाइन के माध्यम से रक्तचाप की लगातार निगरानी की। स्त्री रोग विभाग का नेतृत्व डॉ. नीलू खन्ना सूरी ने किया। जिसके बाद महिला ने सिजेरियन सेक्शन (एलएससीएस) के माध्यम से सुरक्षित रूप से एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। ऑपरेशन बिना किसी जटिलता के पूरा हो गया और सर्जरी के बाद मरीज का इजेक्शन फ्रैक्शन (EF) 40% हो गया – जो हृदय की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार है। एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं मिलने से मां और बच्चे दोनों की जान बच गई। बच्चे की देखभाल बाल रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. शिवानी बंसल ने की।
वहीं अस्पताल के उपाध्यक्ष और सीईओ मनिंदर पाल सिंह रियाड ने कहा कि इस विशेष मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि एस.जी.एल. न एक चिकित्सा केंद्र है, बल्कि आशा, विज्ञान और संवेदनशील उपचार का प्रतीक भी है। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल नवीनतम तकनीक से सुसज्जित है। जिसमें लोगों को बहुत कम दरों पर इलाज दिया जाता है।