दोआबा न्यूज़लाईन
जालंधर: मेहरचंद पॉलिटेक्निक कॉलेज जालंधर के प्रिंसिपल डाॅ. जगरूप सिंह कुछ नया करने की कोशिश करते रहते हैं। उन्होंने 31 साल के टीचिंग करियर में एम.टेक किया और यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल जीता। वहीं उन्होंने अपनी पीएचडी एक अलग विषय ‘प्रॉब्लम बेस्ड लर्निंग’ पर की। तकनीकी पुस्तकें लिखीं, कहानियाँ लिखीं, लेख लिखे, स्वामी दयानंद प्रकाश और महात्मा आनंद स्वामी की रचनाओं का पंजाबी में अनुवाद किया। कोरोना काल में उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी विषयों पर काफी शोध किया और एक नई तरह की वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति पर किताब ‘सोनधारा’ लिखी, जो पंजाबी के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी में भी प्रकाशित हुई। इस किताब को गोल्डन अवॉर्ड मिला।
यह देखना काफी आश्चर्यजनक है कि इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाला एक व्यक्ति मेडिकल विषय पर किताब लिख रहा है। उन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा विषय पर केरल में आयोजित विश्व सम्मेलन में एक पेपर भी पढ़ा। अब उन्होंने ‘सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी’ पुणे से एप्लाइड न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स में प्रथम श्रेणी में डिस्टिंक्शन हासिल किया है और 79 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। वे कहते हैं कि हर किसी को कुछ न कुछ करते रहना चाहिए, जीवन में ठहराव नहीं आना चाहिए।
उनका कहना है कि एक इंसान को पालने से लेकर श्मशान तक के सफर के दौरान हमेशा सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह डिप्लोमा प्राप्त करने पर डीएवी के उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति एनके सूद, सचिव अरविंद घई, सचिव अजय गोस्वामी, सीडीटीपी सलाहकार निकाय के अध्यक्ष कुंदन लाल और पूरे स्टाफ ने उन्हें बधाई दी।