दोआबा न्यूज़लाईन (जालंधर/धर्म)
भारत में बहुत से ऐसे त्योहार है जो हिन्दू संस्कृति को दर्शाते है। ऐसा ही एक त्योहार होली का है। होली, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे फागुन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग आपस में रंग फेकते हैं, पिचकारी से पानी उड़ाते हैं और मिठाई खाते हैं। होली का महत्व हमारे जीवन में खुशियों और मीठास को जोड़कर एक खास स्थान रखता है। यह एकता, मित्रता और भाईचारे का प्रतीक है। यह रंगबिरंगी रंगो के साथ-साथ खुशियों का भी प्रतीक है। सभी लोग एक दूसरे के साथ गीले शिकवे दूर कर गले मिलते है। रंगो के साथ साथ कई तरह की मिठाइयां-पकवान भी बनाते है।
होली के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। लेकिन प्रह्लाद विष्णु भक्त थे, यही वजह थी की प्रह्लाद को तरह-तरह से पड़ताड़ित किया जाता था, लेकिन सच्चे भक्त प्रह्लाद को किसी बात का कोई डर नहीं था। वह हर समय प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। इसी बात को लेकर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी, क्योकि होलिका को आग में न जलने का वरदान मिला था। जिसके बाद आग में होलिका प्रह्लाद को लेकर बैठ गई। भगवान की लीला अपरम्पार थी, जिसे वरदान मिला था वह जल कर राख हो गई, भक्त प्रह्लाद सुरक्षित रहे। यह कथा इस बात का संकेत है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।
जानें कहां-कहां मनाया जाता है यह त्योहार
होली एक प्राचीन भारतीय धार्मिक त्योहार है जो भारत के बाहर भी लोकप्रिय हो गया है। भारत और नेपाल (Nepal) के अलावा, यह त्योहार सूरीनाम (Suriname), गुयाना (Guyana), त्रिनिदाद (Trinidad) और टोबैगो (Tobago), जमैका (Jamaica), दक्षिण अफ्रीका (South Africa), मॉरीशस (Mauritius), फिजी (Fiji), मलेशिया (Malaysia), सिंगापुर (Singapore), यूनाइटेड किंगडम (UK), संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), नीदरलैंड (Netherlands), कनाडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और न्यूजीलैंड (New Zealand) जैसे देशों में भारतीय उपमहाद्वीप के प्रवासी द्वारा मनाया जाता है।
यह भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम की कहानी है। जब कृष्ण वृंदावन में रहते थे तो वे राधा से प्रेम करते थे। कृष्ण अपने काले-नीले रंग को लेकर असुरक्षित थे जबकि राधा का रंग गोरा था। उनकी माँ ने उन्हें राधा को जो भी रंग पसंद हो, रंगने के लिए कहा। भगवान कृष्ण ने अपना प्रेम दिखाने के लिए राधा को अपने रंग में रंग दिया। राधा पहले से ही कृष्ण से प्रेम करती थीं। तब से उनके प्रेम को हर साल होली पर रंगों और खुशियों के साथ मनाया जाता है। इसीलिए वृंदावन की होली देखने योग्य होती है। सभी भक्त रंगो के साथ-साथ प्रभु भक्ति में मग्न होते है। गुलाल, फूलों की होली के साथ सारा वृंदावन झूमता है।
इस बार रंगो की नहीं फूलों की होली खेले
कई लोग होली रंगो से खेलते है। रंगो में कई तरह के केमिकल होते है, जो की शरीर को नुकसान पहुंचाते है। होली का रंग जब चेहरे पर लगता है तो आँखो में भी पड़ता है। जिसके कारण आँखो में रंग डलने की वजह से आँखे खराब हो सकता है। कई बार आँखो की रौशनी भी जा सकती है। इसीलिए यही कारण है की आप फूलों की होली खेलें जिसका कोई नुसकान नहीं है।