दूसरे किसानों को भी डी.ए.पी. पर अपनी निर्भरता कम करने की अपील की
दोआबा न्यूज़लाईन
जालंधर: जिला जालंधर के गांव सराय खास का किसान हरजिन्दर सिंह आलू की बिजाई के लिए डी.ए.पी.की बजाय नाईट्रोफास्फेट और एन.पी.के. का प्रयोग कर रहा है। उनका कहना है कि हम डी.ए.पी. की कमी परिवर्तनी फास्फोरस तत्व की मौजूदगी वाली खादों से पूरी कर सकते हैं। किसान ने बताया कि वह अपने खेतों में आलू की बिजाई के लिए एन.पी.के. 20:20:0:13, एन.पी.के 15:15:15 और 16:16:16 का प्रयोग कर रहे है, जिस के अच्छे नतीजे मिल रहे है।
हरजिंदर सिंह ने यह भी बताया कि वह मिक्स करके इन खाद का प्रयोग करते हैं, जिससे जमीन में पोटाश, फास्फोरस और नाईट्रोजन की पूर्ति होने के साथ आलू की पैदावार पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने दूसरे किसानों को भी डी.ए.पी. पर अपनी निर्भरता कम करने की अपील की। हरजिन्दर सिंह का कहना है कि किसान फास्फोरस तत्व की मौजूदगी वाली कोई भी अच्छी गुणवत्ता की खाद इस्तेमाल कर सकते है।
कृषि अधिकारी डॉ. सुरजीत सिंह ने इस सम्बन्धित और ज्यादा जानकारी देते बताया कि डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर ट्रिपल सुपर फास्फेट ( 0 46: 0, एन.पी.के 12: 32:16, सिंगल सुपर फास्फेट एन.पी.के. 16: 16: 16 और एन. पी. के 20: 20: 13 खाद फसलों के लिए बहुत उपयोगी है। उन्होंने कहा कि उक्त फास्फोरस तत्व वाली खाद में से किसी भी खाद को डी.ए.पी. के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, जिनका अतिरिक्त फ़ायदा यह है कि इनमें से हमें अन्य खुराकी तत्व भी मिल जाते हैं, जो कि खेत के लिए बड़े लाभदायक होते है।