Friday, September 20, 2024
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एकादशी व्रत पर रखें इन बातों का ध्यान, बरसेगी भगवान विष्णु की आपार कृपा

by Doaba News Line

दोआबा न्यूज़लाईन (देश/धर्म)

धर्म : हर वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 7 जनवरी को सफला एकादशी है। वैष्णव समाज के लोग एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही एकादशी का व्रत भी रखते हैं। एकादशी का व्रत करने से सोया हुआ भाग्य भी चमक उठता है। साथ ही धन-धान्य और सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धाभाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। यह भी माना जाता है की सफला एकादशी का व्रत करने से कार्यों में सफलता मिलती है और इंसान को जीवन के दुखों से छुटकारा मिलता है।

सफला एकादशी व्रत में रखें इन बातों का ध्यान

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति को पीले वस्त्र अर्पित करने चाहिए। इसके अलावा पूजा के दौरान हल्दी, चंदन, दीप, धूप अर्पित करना चाहिए। प्रसाद में तुलसी की पत्तियां जरूर चढ़ाना चाहिए। भगवान विष्णु को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए।

पूजा के मुहूर्त का समय

एकादशी सफला 7 जनवरी को मनाई जाएगी। पंचांग के मुताबिक, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 7 जनवरी को सुबह 7:20 से शाम 8:40 तक रहेगा। जबकि पूजा का शुभ समय सुबह 9:20 से शाम 6:20 तक रहेगा।

सुबह जल्दी उठकर सनान करे मन में बुरे विचार नहीं लेकर आये। प्रभु भक्ति में लीन रहे। घर के मंदिर में दीप प्रज्जवलित करें। भगवान विष्णु को गंगा जल से अभिषेक करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। आरती करें व भगवान को भोग लगाए। ध्यान रहे भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरुर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।

सफला एकादशी व्रत पर क्या ना करें

एकादशी तिथि पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। किसी से बातचीत के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे सफला एकादशी व्रत के फल से वंछित रह जाएंगे। इसदिन साबुन और तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन मन में किसी इंसान के प्रति बुरे विचार नहीं लाने चाहिए और ना ही किसी की बुराई करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और भजन-कीर्तन करना चाहिए।

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