Thursday, September 19, 2024
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क्या आपके बच्चे भी फोन को खुद से नहीं करते दूर, तो अपनाएं यह तरिके

by Doaba News Line

दोआबा न्यूज़लाईन

आजकल के बच्चे जन्म लेने के तुरंत बाद ही परिजनों से फोन मांगते हैं। इसी के कारण बच्चों का विकास सही ढंग से नहीं हो पाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 2 साल से छोटे बच्चों का स्क्रीन-टाइम शून्य होना चाहिए और अगर बच्चा 2-5 साल का है तो भी इसे अधिकतम 1 घंटे ही रखें। माँ-बाप पर जिम्मेदारियाँ होती हैं, इसके कारण बच्चो को फोन देकर वह अपना पल्ला छुड़ा लेते हैं, लेकिन यह आदतें आगे चलकर बच्चों के जीवन पर दुष्प्रभाव डालती हैं। अगर आपके बच्चों को फोन की लत लग गई हैं तो उसे किस तरह दे दूर करें आज हम इस बारे में बात करेंगे।

शिशु अगर स्क्रीन का अधिक इस्तेमाल करते हैं, तो उनमें संचार और संज्ञानात्मक क्षमताएं कम विकसित होती हैं क्योंकि स्क्रीन पर बिताया गया समय उन्हें उन अनुभवों से दूर ले जाता है जो वास्तव में सीखने में सहायता करते हैं।

1. स्क्रीन-टाइम, शिशुओं के नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है। इसके अलावा इससे उनकी आंखों को भी नुक़सान पहुंचता है।
2.फोन, टैब आदि के इस्तेमाल के चलते वे अधिक उछल-कूद नहीं करते जिससे वे शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ्य नहीं रहते।3,उनका व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है और ज़िद्दी होने के साथ ही वे धीरे-धीरे अकेला रहना पसंद करने लगते हैं।

शुरुआत में ही बच्चों की आदते पकनी शुरू हो जाती हैं। और सही समय यही होता हैं जब आप अपने बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान दें। अगर आप यह नहीं करेंगे तो फिर आपका शिशु खुद को अपनी मर्जी के अनुसार ही चलाएगा। बच्चों को बिना फोन दिए भी आप उनका भविष्य बेहतर बना सकते हैं, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक रूप से विकास हो सकें।

1.आप उन्हें कहानियां सुनाएं। यदि आप उन्हें अभिनय करके सुना पाएं तो और भी अच्छा है।
2.लोरी मोबाइल पर चलाने के बजाय ख़ुद गुनगुनाने की कोशिश करें क्योंकि आवाज़ अगर फोन से आएगी तो शिशु फोन को लेकर जिज्ञासु रहेगा।
3.शिशु को रंग-बिरंगी चीज़ें आकर्षित करती हैं। इसलिए रुचि जगाने के लिए भड़कीले रंग के खिलौने चुनें।
4.मनोरंजन या ध्यान भटकाने के लिए उन्हें स्क्रीन पर व्यस्त रखने के बजाय उनके साथ खेलें।
5.उन्हें ऐसी किताबें दें जो रंग-बिरंगी होने के साथ ही टेक्सचर्ड (उभार, जिसे छूकर महसूस कर सके) भी हों।

बच्चों के साथ-साथ आपको भी अपनी आदतों में सुधार लाना होगा। क्योकि बच्चे घर से ही सब कुछ सीखते हैं। इसीलिए खुद की आदतों और रूटीन में भी बदलाव करने होंगे। हर काम का एक समय होता हैं। जिसको उसके अनुसार करना चाहिए। ताकि आपका समय खराब न हो। कुछ आदतें अपनाकर आप भी अपना एक बेहतर लाइफ स्टाइल सेट कर सकते हैं।

1.टी.वी. के समय को निर्धारित एवं नियंत्रित करें।
2.फोन, टैब या लैपटॉप का इस्तेमाल बच्चे से दूर रहकर ही करें।
3.कार्य को निपटाने या खाना खिलाते समय उन्हें फोन न दें।
4.उनकी बेवजह वीडियो/तस्वीरें न लें। रिश्तेदार या परिचित का कॉल आने पर बच्चे से बात कराने का समय भी सीमित रखें।

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