
दोआबा न्यूज़लाइन


जालंधर: दिल की बीमारियों के इलाज में आज टेक्नोलॉजी ने नई ऊंचाईयां छू ली हैं। पहले जहां डॉक्टर केवल एक्स-रे या एंजियोग्राफी की मदद से धमनियों का बाहरी रूप देख पाते थे, वहीं अब इन्ट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड (आईवीयूएस) की मदद से दिल की धमनियों के अंदर देखना तक संभव हो गया है। यह तकनीक डॉक्टर को धमनी की असली बनावट, अंदर जमी चर्बी (प्लाक), कैल्शियम और रुकावट की सही स्थिति दिखाती है, जिससे इलाज और भी सुरक्षित और सटीक हो जाता है। अब इस आधुनिक सुविधा का लाभ आप अपने शहर केयर बेस्ट सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उठा सकते हैं। केयर बेस्ट अस्पताल एक ऐसा कार्डियक डेस्टिनेशन, जहां उन्नत हृदय उपचार और वर्षों का अनुभव एक साथ मिलता है।




इस नई तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए केयर बेस्ट अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रमन चावला ने बताया कि इन्ट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड सिर्फ धमनी को देखने की तकनीक नहीं है, बल्कि उसे गहराई से समझने और सुरक्षित तरीके से इलाज करने की कला है। आईवीयूएस के साथ दिल के इलाज की दिशा अब केवल उपचार नहीं, बल्कि सटीकता, सुरक्षा और श्रेष्ठता की ओर बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि आईवीयूएस एक बहुत पतली ट्यूब के सिरे पर लगी छोटी सी अल्ट्रासाउंड जांच यंत्र (प्रोब) से काम करता है। इसे कलाई या जांघ की धमनी के रास्ते दिल की नाड़ियों में ले जाया जाता है। यह प्रोब ध्वनि तरंगें भेजता है, जो धमनी की दीवारों से टकराकर वापस आती हैं। इन तरंगों से कंप्यूटर एक 360 डिग्री की रियल-टाइम तस्वीर बनाता है यानी डॉक्टर को धमनी के अंदर का पूरा दृश्य मिलता है। इससे वे यह तय कर पाते हैं कि स्टेंट या बलून का आकार क्या होना चाहिए और कहाँ सही तरीके से लगाना है।
आईवीयूएस की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि स्टेंट पूरी तरह खुला हो और धमनी की दीवार से ठीक से चिपका हो, जिससे दोबारा रुकावट (रीस्टेनोसिस) की संभावना कम हो जाती है। यही नहीं आईवीयूएस डॉक्टर को यह भी दिखाता है कि ब्लॉकेज नर्म है या कठोर- जिससे सही इलाज चुनना आसान होता है।
कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन साबित कर चुके हैं कि जिन मरीजों का इलाज आईवीयूएस की सहायता से किया गया है, उनमें जटिलताएँ कम होती हैं, दोबारा ब्लॉकेज की संभावना घटती है और लंबे समय तक परिणाम बेहतर रहते हैं। कठिन मामलों जैसे लेफ्ट मेन आर्टरी डिजीज, पुराने जमे हुए ब्लॉकेज (क्रॉनिक टोटल ऑक्लूज़न) और पहले लगाए गए स्टेंट में दोबारा रुकावट आने की स्थिति में आईवीयूएस बेहद उपयोगी साबित हुआ है।
वहीं मरीजों के लिए इसका मतलब है- अधिक सुरक्षित प्रक्रिया, बेहतर परिणाम और डॉक्टर के हर कदम में तकनीकी सटीकता। डॉक्टरों के लिए यह एक नई दृष्टि और आत्मविश्वास का माध्यम है, जिससे वे हर मरीज की धमनियों को गहराई से समझ कर, व्यक्तिगत रूप से अनुकूल उपचार कर सकते हैं।
जैसे-जैसे चिकित्सा जगत आगे बढ़ रहा है, आईवीयूएस आधुनिक “इमेज-गाइडेड एंजियोप्लास्टी” का केंद्र बिंदु बन गया है। अब इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल को-रजिस्ट्रेशन जैसी नई तकनीकें भी जुड़ रही हैं, जो एंजियोग्राफी की तस्वीरों को IVUS की इमेज से जोड़कर और भी सटीक मार्गदर्शन देती हैं।
वहीं आगे जानकारी देते हुए डॉ रमन चावला ने यह भी कहा कि इन्ट्रावास्कुलर अल्ट्रासाउंड सिर्फ धमनी को देखने की तकनीक नहीं है, बल्कि उसे गहराई से समझने और सुरक्षित तरीके से इलाज करने की कला है। आईवीयूएस के साथ दिल के इलाज की दिशा अब केवल उपचार नहीं, बल्कि सटीकता, सुरक्षा और श्रेष्ठता की ओर बढ़ रही है।
वहीं मरीजों के लिए इसका अर्थ है कि अब उनकी एंजियोप्लास्टी सिर्फ की नहीं जाती, बल्कि उसे पूर्णता के साथ किया जाता है। आईवीयूएस जैसी नई तकनीकें हृदय उपचार में एक नए युग की शुरुआत कर रही हैं – जहाँ दिखाई और सटीकता साथ आती हैं, और परिणाम उत्कृष्टता से मिलते हैं।




