दोआबा न्यूज़लाईन (नई दिल्ली/राजनीति)
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में कई सियासी पार्टियों को मुँह के बल गिरना पड़ा है। कई पार्टियां अपने-अपने गढ़ों से ही हारी हैं, जहाँ पर उन्हें जीत की पूरी उम्मीद थी। इस बार लोकसभा चुनावो में ना तो मोदी फैक्टर चला और न ही केजरीवाल फैक्टर ने काम किया। अगर दिल्ली की बात करें तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और आम आदमी पार्टी कहती है कि हमने दिल्ली में बहुत काम किए है। हमने दिल्ली वासियों को बिजली फ्री दी है, शिक्षा के लिए बहुत अच्छे स्कूल बनवाएं हैं और स्वास्थ्य के लिए बहुत काम किया है। फिर कहाँ चूक हो गई जो दिल्ली में इंडिया गठबंधन एक भी सीट नहीं बचा पाया।
इसी तरह हम अगर बात करें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि तो इस बार मोदी फैक्टर ने भी काम नहीं किया। उत्तर प्रदेश जोकि भाजपा का गढ़ माना जाता है वहां पर भाजपा बुरी तरह से फ्लॉप रही। जहाँ पर भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद थी, वहां पर उसके बड़े-बड़े मंत्री हार गए। दिल्ली जहाँ पर आम आदमी पार्टी की सरकार है, वहां पर भारतीय जनता पार्टी ने सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की हैं। हालांकि वर्ष 2019 के चुनाव की तुलना में विजेताओं की जीत का अंतर सभी सात संसदीय क्षेत्रों में काफी कम हो गया। विपक्षी गठबंधन इंडिया के उम्मीदवारों ने (कांग्रेस और आम आदमी पार्टी) चांदनी चौक और नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा प्र्ताक्षियो को कड़ी टक्कर दी। भाजपा को पड़ोसी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के राज्यों में अपने गढ़ों में आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा ने यूपी में 10 साल का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। न सिर्फ सीटों में गिरावट आई है बल्कि वोट शेयर भी काफी कम हुए हैं। कई केंद्रीय मंत्री चुनाव हारे हैं। मोदी फैक्टर के अलावा लोकसभा चुनाव में खासतौर पर उत्तर प्रदेश में योगी फैक्टर, कानून व्यवस्था, विकास और आक्रामक हिंदुत्व को भाजपा ने अपने अभियान का अहम हिस्सा बनाया था। पूरे चुनाव में भाजपा के कैंपेनिंग में इसी की गूंज सुनाई देती रही थी लेकिन अब लगता है कि योगी यूपी में भाजपा के लिए उपयोगी साबित नहीं हो पाए।
कहाँ हुई चूक
अगर भाजपा की बात करें तो भाजपा ने पुरे चुनाव कैंपेन में मोदी की गारंटी और राम मंदिर को ही चुनाव लड़ने का आधार बनाया। इसके इलावा महगांई, रोज़गार या फिर किसानी मुद्दे पर भाजपा ने चुनावो में कोई बात नहीं की। दूसरी तरफ गठबंधन के पास सिर्फ एक ही मुद्दा था कि किसी तरह मोदी को हराना है। उनके पास चुनाव जितने को लेकर कोई तैयारी नहीं थी। सविंधान बचा लो ,लोकतंत्र बचा लो ,मोदी को हरा दो। और कोई अहम मुद्दा नहीं था।