Friday, November 15, 2024
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जालंधर पुलिस की बड़ी कामयाबी, फर्जी पुलिस भर्ती गिरोह का किया भंडाफोड़, 2 के खिलाफ दर्ज FIR

by Doaba News Line

दोआबा न्यूज़लाईन (जालंधर/क्राइम)

जालंधर: जालंधर पुलिस ने एक फर्जी भर्ती गिरोह का पर्दाफाश किया है। जानकारी के अनुसार जालंधर कैंट पुलिस ने तीन साल बाद फर्जी भर्ती मामले की गुत्थी को सुलझाते हुए 2 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उक्त आरोपियों पर आरोप है कि उन 2 फर्जी पुलिसकर्मियों ने कुछ युवकों की पुलिस में भर्ती करवाने के नाम पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की थी। आरोपियों की पहचान अमित कुमार व बलविंदर कुमार निवासी मोहल्ला नंबर 32, जालंधर कैंट के रूप में हुई है।

जांच में पता चला है कि उक्त आरोपी पीड़ित युवकों को भर्ती का भरोसा दिलाकर कभी एसएसपी आफिस और कभी पीएपी के बाहर रजिस्टरों पर फर्जी हाजिरी भी लगवाते रहे हैं। उक्त मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित युवकों को 3 महीने तक सैलरी नहीं मिली।
फिलहाल दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी अभी बाकी है।

वहीं आपबीती सुनाते हुए पीड़ित चेतन ने बताया कि आरोपी अमित उसके पिता की वैल्डिंग की दुकान पर गए थे। जहां उन्होंने पुलिस में भर्ती की बात कर उसके पिता को अपने झांसे में फसा लिया। आरोपी ने कहा कि वह पीएपी में दर्जा चार का कर्मचारी है। वह उसके बेटे नौकरी पर लगा देगा जिसके लिए 1 लाख रुपए लगेंगे। आरोपी ने ये भी कहा कि अगर वह अन्य युवकों की भर्ती करवाएंगे तो पैसे कम लगेंगे। इसके बाद पीड़ित चेतन ने उसकी बातों में आकर अपने दोस्तों सुनील कुमार, नवीन अभिषेक, मणि, अशोक कुमार, सौरव कुमार, मनीष कुमार और विक्रम कुमार से पुलिस में भर्ती होने की बात की। सभी दोस्तों ने मिलकर 9 लाख रुपए आरोपी को दे दिए। आरोपी ने महीने का वेतन 26 हजार बताया।

इसके बाद आरोपियों ने पीड़ित युवकों को टेस्टिंग के लिए बुलाया और कहा कि वह पास हो गए हैं। ऐसे ही पीएपी और 15 दिन बाद एसएसपी दफ्तर के बाहर युवकों की फर्जी हाजिरी लगवानी भी शुरू कर दी गई। इसके बाद जब युवकों को 3 महीने तक सैलरी नहीं मिली तब कहीं जाकर उन्हें पता चला कि वह जालसाजी का शिकार हो गए हैं।

इस बारे में जब उन्होंने आरोपियों से बातचीत की तो वह टाल मटोल करने लग गये। इसके बाद जब युवकों ने जांच की तो उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हो गई है। इसके बाद पीड़ित युवकों ने उक्त मामले की शिकायत उच्च पुलिस अधिकारियों को दी जिन्होंने इस मामले की जांच कैंट जालंधर को सौंप दी।

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