दोआबा न्यूज़लाईन
जालंधर : डिप्टी कमिश्नर डॉ हिमांशु अग्रवाल ने जिले के किसानों को पराली के उचित प्रबंधन से पर्यावरण संभाल में योगदान देने और जालंधर जिले को पराली के धुएं से मुक्त बनाने के लिए एकजुट होने का न्योता दिया। उन्होंने किसानों को रबी फसल की बुआई के लिए डी.ए.पी उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आश्वासन देते हुए उन्हें डी.ए.पी. के विकल्प अपनाने की भी सलाह दी।
डीसी ने बताया कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए जिले में 5372 कृषि मशीनरी उपलब्ध है। इनमें से ब्लॉक आदमपुर में 277, भोगपुर में 273, जालंधर ईस्ट में 379, जालंधर वेस्ट में 768, लोहियां में 658, नकोदर में 951, नूरमहल में 496, फिल्लौर में 506, रुड़का कलां में 401 और शाहकोट में 663 मशीनें किसानों के लिए उपलब्ध है। पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए इनसीटू मैनेजमेंट के तहत जिले में 2362 सुपर सीडर, 30 सरफेस सीडर, पैडी स्ट्रा चॉपर/मल्चर 1378, सुपर एस.एम.एस 452, 890 आर.एम.पी. पुलाओ और एकसीटू प्रबंधन के तहत 160 बेलर, 155 रेक सहित कुल 5372 मशीनें उपलब्ध है।
डिप्टी कमिश्नर ने जिले के किसानों, विशेषकर छोटे एवं सीमांत किसानों को सहकारी समितियों, किसान ग्रुपों, कस्टमर हाइरिंग सेंटर से उपलब्ध मशीनरी प्राप्त करने और धान की पराली का उचित प्रबंधन करने को कहा।
पराली प्रबंधन के लिए किसानों को हर संभव सहायता प्रदान करने की पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि इस वर्ष विभिन्न श्रेणियों के किसानों और किसान ग्रुपों को कृषि मशीनरी पर लगभग 14 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा पराली प्रबंधन में किसानों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 0181-2225005 भी जारी किया गया है, जिस पर किसान तकनीकी मदद के लिए संपर्क कर सकते है।
उन्होंने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए प्रशासन द्वारा फैलाई जा रही जागरुकता का असर जिले में देखने को मिल रहा है और जिले के किसान आधुनिक मशीनों से पराली की उचित देखभाल कर रहे है। उन्होंने प्रगतिशील किसानों की प्रशंसा करते हुए अन्य किसानों को मशीनरी के माध्यम से पराली के उचित निपटारे के लिए आगे आने को कहा ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को भी बरकरार रखा जा सके।
डीसी ने किसानों को आश्वस्त किया कि रबी फसल लगाने के लिए उन्हें आवश्यक मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध करवाई जाएगी। किसानों को डी.ए.पी पर निर्भरता कम करने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा डी.ए पी के विकल्प के तौर पर अन्य फॉस्फोरस युक्त उर्वरक जैसे ट्रिपल सुपर फॉस्फेट, एनपीके, सिंगल सुपर फॉस्फेट का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि डी.ए.पी उर्वरक के अतिरिक्त वैकल्पिक उर्वरको की जिले में लगातार सप्लाई हो रही है।