तीन नए आपराधिक क़ानूनों और पत्रकारिता के नैतिक सिद्धांतों पर की गई चर्चा
दोआबा न्यूज़लाईन
पटियाला: पटियाला के सेमिनार हॉल में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) चंडीगढ़ और जालंधर द्वारा राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, द्वारा एक मीडिया कार्यशाला ‘वार्तालाप’ का आयोजन किया गया। जहां तीन नए आपराधिक कानूनों और पत्रकारिता की नैतिकता पर आयोजित कार्यशाला में पटियाला जिले के पत्रकारों के साथ-साथ राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के छात्रों ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर पीआईबी चंडीगढ़ के सहायक निदेशक अनुभव डिमरी ने अतिथियों का स्वागत किया और भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न मीडिया इकाइयों की भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पीआईबी मंत्रालय का एक प्रमुख हिस्सा है। सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं को लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाने के लिए पीआईबी और मीडिया के बीच समन्वय बढ़ाना जरूरी है और इसी के तहत उद्देश्यपूर्ण ‘वार्तालाप’ का आयोजन किया जाता है।
केंद्रीय संचार ब्यूरो चंडीगढ़ द्वारा किया गया फोटो प्रदर्शनी का आयोजन
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) जय एस. सिंह, कुलपति, राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, पटियाला ने तीन नए आपराधिक कानूनों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने कहा कि दुनिया भर में पारित सभी कानूनों में से तीन नए आपराधिक कानून सबसे प्रमुख हैं। मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) आनंद पवार, रजिस्ट्रार, राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, पटियाला ने कहा कि समय और हालात के साथ आए बदलाव के अनुसार नए आपराधिक कानून बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों में कई अपराध शामिल नहीं थे, जिन्हें नए क़ानूनों में शामिल किया गया है।
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज शर्मा ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 1 जुलाई 2024 से लागू इस अधिनियम में मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से संबंधित प्रावधान किए गए हैं। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को पहले द्वितीयक साक्ष्य माना जाता था लेकिन अब इसे प्राथमिक साक्ष्य के रूप में अदालत में पेश किया जा सकता है। डॉ. मनोज ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के बारे में बताया कि आईटी के प्रसार को देखते हुए पहली बार इलेक्ट्रॉनिक एफआईआर का प्रावधान किया गया है। इस कानून के तहत हरेक घटना के लिए एक समय सीमा तय की गई है ताकि समय पर न्याय मिल सके।
वहीं प्रोफेसर डॉ. शरणजीत ने भारतीय दंड संहिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसमें नए अपराध जैसे आतंकवाद, मॉब लीचिंग के मामले आदि शामिल हो गए हैं। जहां पहले पुराने कानूनों में जुर्माने की रकम बहुत कम थी, वहीं अब करीब 83 अपराधों में जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है। इसके अलावा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए नए कानून का अध्याय संख्या पांच केवल महिलाओं और बच्चों के अपराधों से संबंधित है।
डॉ. हरजिंदर वालिया, पूर्व प्रमुख, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला ने पत्रकारिता के नैतिक सिद्धांतों पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि भारतीय प्रेस परिषद द्वारा लगभग 42 नैतिक सिद्धांत जारी किए गए हैं, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में पत्रकारों का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि हर पेशे के कुछ नैतिक सिद्धांत होते हैं, जिन पर उस पेशे का भरोसा टिका होता है। डॉ. वालिया ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में निष्पक्षता, तथ्य, सच्चाई, निजता के अधिकार की रक्षा और वैज्ञानिक सोच आदि बहुत जरूरी है ताकि लोगों का पत्रकारिता पर अटूट विश्वास बरकरार रहे।
इस अवसर पर डॉ. विक्रम सिंह, मीडिया और संचार अधिकारी, पीआईबी, जालंधर ने जिले भर से आए पत्रकारों, मुख्य अतिथि, वक्ताओं सहित विश्वविद्यालय के पूरे संकाय, छात्रों और केंद्रीय संचार ब्यूरो चंडीगढ़ को धन्यवाद दिया। इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) नरेश वत्स डीन अकादमिक मामले भी उपस्थित थे। इस अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो, चंडीगढ़ की टीम द्वारा विश्वविद्यालय में तीन नए आपराधिक कानूनों से संबंधित एक फोटो प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। इस फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों और पत्रकारों को इन कानूनों के बारे में जानकारी मिली। कार्यशाला के अंत में पत्रकारों द्वारा तीन नये आपराधिक कानूनों के बारे में पूछे गए प्रश्नों का विशेषज्ञों द्वारा उत्तर दिया गया।