दोआबा न्यूज़लाईन
फगवाड़ा/जालंधर: फगवाड़ा के जीएनए विश्वविद्यालय ने उद्योग से जुड़ी शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी), अमृतसर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रशिक्षण, कौशल विकास, अनुसंधान और शैक्षणिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।
समारोह में जीएनए विश्वविद्यालय के चांसलर सरदार गुरदीप सिंह सेहरा, रजिस्ट्रार कुणाल बैंस, डीन एकेडमिक्स डॉ. मोनिका हंसपाल, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, डिजाइन एंड ऑटोमेशन के डीन डॉ. सी. आर. त्रिपाठी, सीआईपीईटी, अमृतसर के संयुक्त निदेशक एवं प्रमुख परमिंदर प्रीत सिंह सचदेवा और सीआईपीईटी के अधिकारी (ऍफ़ एंड ए) अमित चौला मौजूद रहे।
इस अवसर पर चांसलर सरदार गुरदीप सिंह सेहरा ने कहा, “यह समझौता शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच की खाई को पाटेगा, जिससे हमारे विद्यार्थियों को आधुनिक व्यावहारिक अनुभव मिलेगा और प्लास्टिक व संबद्ध उद्योगों में उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी।” डीन एकेडमिक्स डॉ. मोनिका हंसपाल ने इस साझेदारी के शैक्षणिक लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “सीआईपीईटी के साथ यह सहयोग हमारे छात्रों और फैकल्टी को पॉलिमर, प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों और औद्योगिक विशेषज्ञता का लाभ प्रदान करेगा।”
रजिस्ट्रार कुणाल बैंस ने इस साझेदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “इस तरह के रणनीतिक गठजोड़ हमारे शैक्षणिक तंत्र को मजबूत करते हैं और छात्रों व शिक्षकों के पेशेवर विकास को बढ़ावा देते हैं।” स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, डिजाइन एंड ऑटोमेशन के डीन डॉ. सी. आर. त्रिपाठी ने कहा, “यह समझौता हमारे इंजीनियरिंग छात्रों को प्रायोगिक शिक्षा मॉड्यूल और उद्योग-प्रेरित परियोजनाओं के माध्यम से वास्तविक अनुभव प्रदान करेगा, जिससे एक मजबूत प्रतिभा पूल का निर्माण होगा।” उन्होंने कुलपति डॉ. हेमंत शर्मा का भी धन्यवाद किया, जिन्होंने इस तरह के सहयोग के लिए हमेशा अपना समर्थन दिया है।
सीआईपीईटी अमृतसर के संयुक्त निदेशक एवं प्रमुख परमिंदर प्रीत सिंह सचदेवा ने कहा, “हम जीएनए विश्वविद्यालय के साथ इस सहयोग को लेकर उत्साहित हैं। हमारा उद्देश्य संयुक्त शोध पहल, कौशल विकास कार्यक्रम और ज्ञान साझा करके उद्योग व शिक्षा जगत के बीच संबंधों को मजबूत बनाना है।”
यह समझौता विभिन्न शैक्षणिक पहलों की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें संयुक्त कार्यशालाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम, फैकल्टी एक्सचेंज, अनुसंधान सहयोग और औद्योगिक भ्रमण जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। ये सभी पहलें इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी शिक्षा में नवाचार और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।