रोजाना के कामों से हटकर थोड़ा समय अपने लिए भी निकालें महिलाएं

दोआबा न्यूज़लाईन

घर के कामों में हर किसी को परफेक्शन चाहिए। इसी कड़ी में अगर बात महिलाओ कि की जाएं तो कहना गलत नहीं होगा कि महिला एक चलती फिरती मशीन है। इसीलिए आज हम इसी के बारे में बात करने जा रहे है कि महिलाएं बिना छुट्‌टी के घर के काम करती हैं। घरेलू कामों के बोझ के चलते भारतीय शहरों में भी लगभग आधी महिलाएं दिन में एक बार भी घर से बाहर नहीं निकल पातीं। और जो महिलाएं नौकरी या कामकाज के​ सिलसिले में घर से बाहर निकलती हैं, उनकी क्या स्थिति है? उन्हें एक नौकरी से घर लौटकर दूसरी ​‘कामकाजी शिफ्ट’ में जुटना पड़ता है। जितना काम महिलाएं करती है, पुरुषों का योगदान इसका आधा भी नहीं है। यही नहीं, आय अर्जित करने वाली महिलाएं भी कमाऊ पुरुषों की तुलना में घर के कामों को दुगना वक़्त देती हैं।

सारा दिन घर के काम काज देखों, सुबह बच्चों को उठाने से लेकर रात सभी के सोने तक महिलाएं अपने सभी फर्ज निभाती है। 24 में से 10 घंटो से ज्यादा समय महिलाओं का निकल जाता है, और 24 घण्टे घर के कामों के बोझ तले वह अपने आप को थका हुआ महसूस करती है। ख़रीदारी करना, भोजन पकाने की योजना बनाना, घर व्यवस्थित करना, ये सब उसी के ज़िम्मे ही तो हैं। उसे सभी चीज़ों के लिए तैयार रहना होता है। योजना बनाना, विकल्पों को समझना, सही विकल्प का चयन करना और प्रबंधन करना होता है। अगर घर में सहायिका है भी तो पूरे समय उसके साथ रहकर उससे काम करवाना भी कोई आसान काम नहीं है। फिर आता है भावनात्मक श्रम। परिवार की भावनाओं की परवाह करना, बच्चों के व्यवहार, उनकी पढ़ाई और कॅरियर की चिंता करना, परिजनों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना, ये सब भी मुख्यत: स्त्री की ही ज़िम्मेदारी हैं।

इन सब बातों का ध्याना रखते स्ट्रेस आना तो आम बात है। तो आइये हम महिलाओं के इस स्ट्रेस को दूर करने के लिए कुछ खास बातों पर बातचीत करेंगे। सबसे पहले घर के कामों में बटवारा करें, घर के कामों में सभी को हाथ बटाना चाहिए, एहसास होना चाहिए कि सभी एक सामान है, खुद के काम स्वयं करने चाहिए इससे कुछ हद तक घर के काम में फर्क पड़ेगा।

दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात जिन घरों में महिलाओं को मान मिलता है, वहां उन पर काम का बोझ अपेक्षाकृत कम होता है। आप घर में ऐसी संस्कृति विकसित करने का प्रयास कर सकती हैं। हो सकता है कि पिछली पीढ़ी का व्यवहार तत्काल न बदले, लेकिन निश्चित ही आप अगली पीढ़ी (बच्चों) की मानसिकता को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

आजकल सभी की लाइफ बहुत व्यस्त है, लेकिन जो हमारे लिए दिन रात काम करती है उनके लिए भी टाइम निकालना बहुत जरुरी है। उनको स्पेशल फील करवाना चाहिए। जो उन्हें पसंद हो वैसी चीजे करनी चाहिए, ताकि उनका मूड अच्छा रहे।

सभी का ध्यान रखते हुए महिलाओं को अपने लिए भी समय निकालना चाहिए, समय से खाना-पीना और सोना चाहिए। अपनी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। ये समय की बर्बादी नहीं है। इनसे सुकून और आराम मिलता है, जिसके बाद आप कम समय में बेहतर काम कर सकती हैं।

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