जालंधर पुलिस ने सुलझाया फर्जी फाइनेंस कंपनी में लूट मामला, 2 कर्मचारी गिरफ्तार

CCTV फुटेज से सामने आई सच्चाई, 1.92 लाख रुपये बरामद

दोआबा न्यूज़लाईन

जालंधर: जालंधर ग्रामीण पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए रिपोर्ट किए जाने के कुछ ही घंटों में फर्जी डकैती के मामले का भंडाफोड़ कर दिया। बता दें कि यह घटना नकोदर-मलसियां ​​इलाके में कथित तौर पर 2 लाख रुपये की चोरी की है। दरअसल फाइनेंस कंपनी के दो कर्मचारियों द्वारा कंपनी के फंड का दुरुपयोग करने के प्रयास में रची गई एक फर्जी घटना पाई गई। वहीं पुलिस द्वारा गिरफ्तार व्यक्तियों की पहचान नकोदर निवासी सुरजीत सिंह और आदमपुर निवासी सैम के रूप में हुई है। उन पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश से संबंधित प्रावधानों सहित भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ग्रामीण पुलिस के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरकमल प्रीत सिंह खख ने बताया कि पुलिस को आपातकालीन हेल्पलाइन 112 पर एक संकट कॉल मिली, जिसमें नकोदर-मलसियां ​​रोड पर डकैती की सूचना दी गई थी। उन्होंने कहा, “हमारी आपातकालीन प्रतिक्रिया वाहन (ईआरवी) टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। एसएचओ शाहकोट, एसएचओ नकोदर और सीआईए स्टाफ टीम ने डीएसपी नकोदर की देखरेख में जांच शुरू की गई।”

वहीं SSP ने बताया कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, सीसीटीवी फुटेज की गहन समीक्षा से पता चला कि ऐसी कोई डकैती नहीं हुई थी, जिससे सुरजीत सिंह पर संदेह पैदा हुआ, जिसने कंपनी के फंड को डायवर्ट करने के लिए अपराध की झूठी सूचना दी थी। प्रारंभिक जांच के दौरान, दोनों व्यक्तियों ने डकैती की झूठी सूचना देने की बात कबूल की, क्योंकि उन्हें लगा कि वे बिना किसी परिणाम के बच सकते हैं।

आगे की जांच में पता चला कि कर्मचारियों ने जानबूझकर अपने कपड़े फाड़कर हिंसक डकैती की नकल की थी, ताकि चोरी की गई रकम को बराबर-बराबर बांट सकें। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से साजिश का पर्दाफाश हो गया और गबन की गई रकम की पूरी वसूली हो गई। एसएसपी खख ने ईआरवी टीमों की सतर्कता और त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना की, जो अपराधियों को पकड़ने और कंपनी के धन की हेराफेरी को रोकने में सहायक रही।

SSP खख ने लोगों को फर्जी खबरें और गलत सूचना फैलाने से किया आगाह

वहीं जनता को दिए गए सख्त संदेश में एसएसपी खख ने फर्जी खबरें फैलाने या पुलिस को गलत जानकारी देने के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने जोर देकर कहा, “ऐसी हरकतें न केवल पुलिस के बहुमूल्य संसाधनों को बर्बाद करती हैं, बल्कि समाज में अनावश्यक दहशत भी पैदा करती हैं। हम नागरिकों से ज़िम्मेदार होने और केवल वास्तविक घटनाओं की रिपोर्ट करने का आग्रह करते हैं।”

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