साइबर अपराध का बढ़ रहा स्तर, आपको भी सता रहा है इसका डर तो इन उपायों को अपनाकर रखें ख़ुद को सुरक्षित

दोआबा न्यूज़लाईन

आजकल के समय में साइबर क्राइम की वारदातें बढ़ती जा रही है। ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही है जिससे एक पल में आपके खातों से पैसे उड़ जाते है। साइबर ठग नए-नए हथकंडे अपनाते है, ताकि लोगों को अपना शिकार बनाया जा सके। कई लोग हैं, जिन्हें ऑनलाइन भुगतान, क्यूआर कोड, ओटीपी और मैसेज पर आए हर लिंक से डर लगता है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है, क्योंकि लगातार बढ़ते सायबर अपराधों ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है जो उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से प्रभावित कर रहा है। तो आइये आज हम इसी विषय पर बात करेंगे ताकि इन ठगों से बचा जा सके। अपनी सूझबूझ के कारण आप अपना पैसा इन ठगों से बचा सकते है।

अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे नियम बनाएं, ताकि साइबर ठग्गी का शिकार ना हो सके।

सबसे पहले तो दो बैंक खाते रखें। एक खाते में कम राशि रखें जिसका इस्तेमाल केवल ऑनलाइन पेमेंट के लिए करें। इस खाते से यूपीआई इस्तेमाल करना है तो इसे दूसरे नंबर से लिंक करें और सिम को भी दूसरे मोबाइल में इस्तेमाल करें। वहीं दूसरे खाते को ऑनलाइन भुगतान के लिए इस्तेमाल ना करें।

पासवर्ड और पिन मज़बूत रखें। कई बार ऐसा होता कि लोग आसानी से याद होने वाले पिन रखते है, लेकिन हैकर्स को तोड़ना और भी आसान हो जाता है।

ऑनलाइन फ्रॉड होने पर तुरंत यूपीआई आईडी या बैंक खाता जिस नंबर से लिंक है, उस नंबर से फौरन 1930 पर कॉल करें। इस पर आपके साथ हुए फ्रॉड से संबंधित सारी जानकारी मांगी जाएगी।

आपके नंबर पर किसी तरह का भी कोई लिंक आता है, तो उस पर ऐसे ही क्लिक न करें। क्योकि हैकर्स से ऐसे लिंक बनाएं होते है जिससे आपका मोबाइल हैक हो जाता है, और खाते से पैसे ट्रांसफर हो जाते है।

कोई भी एप या फाइल्स अविश्वसनीय स्रोतों से डाउनलोड करने से बचें। ऐसा कोई भी लेंडिंग एप डाउनलोड ना करें जहां .apk इंस्टॉलेशन फाइल मैसेंजर पर साझा की गई हो। आजकल सोशल मीडिया पर आकर्षक सामान दिखाकर ख़रीदने का लिंक भी पोस्ट करते हैं, उन पर क्लिक करने से बचें। इसी तरह फ्री टॉक टाइम या डिवाइस मिलने के दावे वाले लिंक भी होते हैं। वेबसाइट ‘https’ से शुरू होनी चाहिए। अगर वेबसाइट ‘http’ से शुरू होती है तो यह सुरक्षित नहीं है। अगर कोई दुकानदार आपको मैसेज पर लिंक भेजता है तो उसे ध्यान से पढ़ें, उसके बाद उस पर क्लिक करें।

किसी दुकान पर क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद उसके खाताधारक का नाम आता है। अगर उस पर दुकान का नाम आ रहा है तो आप उस पर भुगतान कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति का नाम आता है तो एक बार दुकानदार से जांच करा लें कि यह कोड सही है या नहीं।
आरटीओ, बिजली या अन्य सरकारी काम हमेशा दिन में होते हैं। अगर कोई एजेंट आपका काम करने के लिए शाम को 6 बजे के बाद ओटीपी, मांगता है या भुगतान करने के लिए कहता है, तो उसे मना कर दें।

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