दोआबा न्यूजलाइन
देश : 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की 7 लोकल ट्रेनों के कोच में सीरियल बम ब्लास्ट हुए। जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस आतंकी हमले में 189 लोगों की मौत हो गई और 824 लोग घायल हुए थे। इस ब्लास्ट के 19 साल बाद 21 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया जिससे कई लोग बेहद खुश है और कई यह सोच रहे है कि फिर असल में ब्लास्ट का दोषी कौन है? माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। 19 साल जेल में आरोपियों की तरह बिताने वाले लोगों के परिवार बहुत खुश दिखाए दिए। गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार, बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
मुंबई के दहिसर में रहने वाले प्रभाकर मिश्रा आंतकी हमले के इकलौते गवाह है। उन्होंने इस फैसले के बाद कहा कि वह बेहद निराश हैं‘जितना बड़ा धक्का धमाके से लगा था, उतना ही अब इस फैसले से लगा है। दूसरी ओर अटैक में मारे गए लोग अब गुस्साएं हुए है। वे कहते हैं पिछले 19 साल से हम 11 जुलाई को माहिम में इकट्ठा होते हैं और अपने प्रियजनों को याद करते हैं। हर साल मेरे मन में बस एक ही सवाल आता था कि आखिर फैसला कब आएगा? लेकिन ऐसा निर्णय ने हमारे पैरों तले जमीन को छीन लिया है।
सलाखों के पीछे जिंदगी गुजारने वाले आरोपी और उनकेपरिजनों में ख़ुशी की लहर है। कोर्ट के शुक्रगुजार हैं। वे कहते हैं, ‘इतने सालों से हम पर लगा आतंकी होने का तमगा अब हट गया है।’