GNA यूनिवर्सिटी में कार्बन फुटप्रिंट रिडक्शन पर कार्यशाला आयोजित

दोआबा न्यूज़लाइन

फगवाड़ा: फगवाड़ा की जीएनए यूनिवर्सिटी ने अपने चल रहे पर्यावरण शिक्षा कार्यक्रम (EEP) 2025-26 के अंतर्गत “स्मॉल स्टेप्स, बिग इंपैक्ट: कार्बन फुटप्रिंट रिडक्शन ” विषय पर एक प्रभावशाली कार्यशाला सफलतापूर्वक आयोजित की। यह कार्यक्रम पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (PSCST) तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) भारत सरकार द्वारा समर्थित था।

इस अवसर डॉ. सुमन बी. सिंह और अनिल धमीर- दो अनुभवी विशेषज्ञ, जिनकी औद्योगिक स्वचालन, पर्यावरण सेवाओं, बायोकेमिस्ट्री और गुणवत्ता प्रबंधन में गहरी विशेषज्ञता है उन्होंने अपने मूल्यवान ज्ञान और अनुभव से कार्यशाला को बेहद समृद्ध बनाया। कार्यशाला का उद्देश्य व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों के प्रति जागरूकता पैदा करना था, जिससे कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सके और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके। पर्यावरण विज्ञान, सतत विकास और जलवायु कार्रवाई से जुड़े विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को इंटरैक्टिव सत्रों, प्रेज़ेंटेशन और व्यावहारिक प्रदर्शनों के माध्यम से मार्गदर्शन दिया।

प्रतिभागियों में जिला कपूरथला के विभिन्न सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी, संकाय सदस्य और समुदाय प्रतिनिधि को प्रमुख विषयों जैसे सतत जीवनशैली, जिम्मेदार उपभोग, कचरा प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग और पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भूमिका से अवगत कराया गया। कार्यक्रम में यह विशेष रूप से रेखांकित किया गया कि कैसे छोटे-छोटे व्यवहारिक बदलाव, जब निरंतर अपनाए जाएँ, तो पृथ्वी को स्वस्थ बनाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं।

डॉ. योगेश भल्ला ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के कार्य करने के तरीके और अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग के लाभों की जानकारी भी दी। डॉ. सुमन बी. सिंह, मुख्य वक्ता, ने कम-कार्बन आदतों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया और प्रतिभागियों को अपनी समुदायों में पर्यावरण-अनुकूल पहलों का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यशाला का समापन एक प्रेरक संदेश के साथ हुआ, जिसमें सभी को जिम्मेदार पर्यावरण संरक्षक बनने का आह्वान किया गया। चांसलर, गुरदीप सिंह सीहरा ने विभाग के प्रयासों की सराहना की जो ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और प्रतिभागियों को वास्तविक समय में प्रेरणा प्रदान करते हैं। वाइस चांसलर डॉ. हेमंत शर्मा ने कहा कि युवाओं को पर्यावरण को बचाने और संरक्षित करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक होना आवश्यक है। ऐसी गतिविधियां छात्रों में अधिक जागरूकता पैदा करेंगी और समाज के उत्थान के लिए लाभदायक सिद्ध होंगी।

वहीं डॉ. मोनिका हंसपाल, डीन एकेडमिक्स ने कहा कि विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी और फैकल्टी के उत्साह को देखते हुए वह खुश है कि इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अंत में डॉ. योगेश भल्ला, विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ नेचुरल साइंसेज ने कहा कि वह प्रबंधन के आभारी है जो हमेशा ऐसे कार्यक्रमों के मार्गदर्शन और सफल आयोजन में निरंतर सहयोग प्रदान करते है।

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