रक्षा मंत्री ने सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र का किया दौरा, सियाचिन में सुरक्षा स्थिति का लिया जायजा

रक्षा मंत्री ने वीरता और दृढ़ संकल्प के साथ देश की रक्षा करने के लिए की सैनिकों की सराहना

दोआबा न्यूज़लाईन (दिल्ली/देश)

नई दिल्ली: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज 22 अप्रैल को सुरक्षा स्थिति का खुद आकलन करने के लिए विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने विपरीत मौसम और दुर्गम क्षेत्र की परिस्थितियों में तैनात सैनिकों से भी बातचीत की। रक्षा मंत्री के साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार और जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली भी थीं। एरियल सर्वेक्षण के पश्चात रक्षा मंत्री 15,100 फीट की ऊंचाई पर एक अग्रिम चौकी पर उतरे और उन्हें सियाचिन ग्लेशियर में परिचालन तैयारी और वर्तमान सुरक्षा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।

उन्होंने जमीनी स्तर पर कमांडरों के साथ परिचालन चुनौतियों से जुड़े पहलुओं पर भी विचार-विर्मश किया। सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने विषम परिस्थितियों में वीरता और दृढ़ संकल्प के साथ मातृभूमि की रक्षा के पुण्य पथ पर चलने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि राष्ट्र सशस्त्र बल कर्मियों का सदैव ऋणी रहेगा, क्योंकि उनके बलिदान की वजह से हर नागरिक सुरक्षित महसूस करता है। “हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं, क्योंकि हम आश्वस्त हैं कि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं। आने वाले समय में जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तो बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की वीरता और दृढ़ इच्छाशक्ति के कामों को गर्व के साथ याद किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।” रक्षा मंत्री ने कहा कि सियाचिन कोई आम जगह नहीं है, बल्कि उन्होंने इसे भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है, बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, उसी तरह सियाचिन साहस, दृढ़ निश्चय और संकल्प की राजधानी है। हाल ही में देश ने ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की 40वीं वर्षगांठ मनाई। रक्षा मंत्री ने 13 अप्रैल, 1984 को भारतीय सेना द्वारा सियाचिन में शुरू किए गये इस ऑपरेशन को देश के सैन्य इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताया। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन मेघदूत की कामयाबी हम सभी के लिए गर्व की बात है।” इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में सियाचिन युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री ने बीते महीने की 24 मार्च को लेह का दौरा किया था और सैनिकों के साथ होली मनाई थी। उनका सियाचिन जाने का कार्यक्रम था, लेकिन तब प्रतिकूल मौसम के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था। लेह से रक्षा मंत्री ने सियाचिन में तैनात सैनिकों से फोन पर बात की थी और उन्हें बताया कि वह जल्द ही वे विश्व के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र का दौरा करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे। आज उन्होंने अपना वे वादा पूरा कर दिखाया।

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