दोआबा न्यूजलाईन
देश : बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नए आदेश जारी किये है। कोर्ट ने कहा, बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी के घर पर बुलडोजर चलाना असंवैधानिक है। किसी भी आरोपित, यहां तक कि दोषी की संपत्ति (घर या दुकान, आफिस आदि) भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर ध्वस्त नहीं की जा सकती, ऐसा करना असंवैधानिक है। न्यायाधीश बनकर कार्यपालिका किसी को दंडित नहीं कर सकती।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, ‘आम नागरिक अपना घर बनाना सालों की और सपनों का नतीजा है। कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की कानून का राज यह सुनिश्चित कि लोगों को पता हो कि उनकी मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी। सजा के नाम पर किसी का आशियाना छीनने की अनुमति हमारा संविधान नहीं देता है।’
इस मामले में पीठ ने कहा कि सरकार या अफसर मनमानी नहीं कर सकते। अगर कोई भी अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करेगा तो उस अफसर को बख्शा नहीं जाएगा। बिना कानूनी प्रक्रिया के सजा देना अपराध है।
बुलडोजर एक्शन पर ‘सुप्रीम’ कोर्ट के दिशा-निर्देश
ध्वस्तीकरण के लिए 15 दिन पहले कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा।
नोटिस की एक प्रति पंजीकृत डाक से संपत्ति के मालिक को भेजी जाए। दूसरी प्रति संपत्ति के बाहर चिपकाए जाए।
नोटिस में बताया जाए कि नियम उल्लंघन का विवरण और कार्रवाई का आधार क्या है।